जिन्दगी मुझसे कुछ खफा सी लगे।
सांस लेना भी एक सजा सी लगे।।
हम ये आकर कहां पे ठहरे हैं।
हर तरफ अजनबी से चेहरे हैं।
लोग गूंगें है और बहरे हैं
बात करना भी एक खता सी लगे।
जिन्दगी मुझसे कुछ खफा सी लगे....
मेरे क़ातिल को एक खत लिख दो
उसमें एक ये पयाम बस लिख दो
मैं तुझसे जख्म खा के जीता हूं
ये ही मुझको तो अब शफा सी लगे।।
जिन्दगी मुझसे कुछ खफा सी लगे ...